( तर्ज - मानले कहना हमारा ० )
लीजो खबर मेरी प्रभू
यह दास दरपे है पड़ा || टेक ||
धीर मनमें हैं नहीं ,
पलपलही जाता वर्षसा।
गर चलगयी ऐसी घडी ,
तब दुःखही होता बडा ॥१ ॥
' पतितपावन ' नाम सुनकर ,
द्वारपर हाजिर हुआ ।
' खबर हो दिनकी तुम्हे ,
वस आम लेकर हूँ खड़ा || २ ||
सैकडोंही भक्तको ,
तुमने दिलाया दर्श है ।
मुझसे गरीबोंपरभी हो ,
ऐसी दया , करके अडा ॥३ ॥
दोषि हूँ गर जन्म का ,
तब भोग भोगूंगा पिछे ।
कहत तुकड्या इस समय ,
मेरी फिकर लेलो , जड़ा ॥४ ॥
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